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    Shiksha Saarthi Magazine

    SHIKSHA SAARTHI DECEMBER 2025

    SHIKSHA SAARTHI DECEMBER 2025

    SHIKSHA SAARTHI OCT-NOV 2025

    SHIKSHA SAARTHI OCT-NOV 2025

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    माननीय शिक्षा मंत्री का संदेश

     

    “प्रकृति से बढ़कर कोई स्कूल नहीं,
    जीवन से बेहतर कोई पुस्तक नहीं,
    अनुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं,
    प्रेम से गूढ़ कोई ज्ञान नहीं।”

    ये पंक्तियाँ शिक्षा के उस शाश्वत सत्य को प्रकट करती हैं, जिसे भारत की ज्ञान-परंपरा सदियों से स्वीकार करती आई है। फिर भी विद्यालय और औपचारिक शिक्षा आवश्यक हैं, क्योंकि मानव बुद्धि क्रमशः विकसित होती है और उसे दिशा व अनुशासन की आवश्यकता होती है। शिक्षा मानव सभ्यता के संचित ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुँचाती है—ताकि जीवन की चुनौतियों से पहले ही मन तैयार हो सके। विद्यालय सोच को अनुशासित करते हैं, समाज को बार-बार वही त्रुटियाँ दोहराने से बचाते हैं और उन सत्यों को सुरक्षित रखते हैं जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति अकेले नहीं खोज सकता।

    सूर्यकांत त्रिपाठी और मैथिलीशरण गुप्त के शब्दों में, “जो शिक्षा जीवन से कट जाए वह कविता की तरह नहीं , बोझ की तरह लगती है और जो शिक्षा संस्कृति से कट जाए वो दिशाहीन हो जाती है ।”

    वर्तमान सरकार ने इस वास्तविकता को स्वीकार करते हुए शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन का स्पष्ट संकल्प लिया है।

    इस परिवर्तन में शिक्षक की भूमिका बहुत अहम है । वह भावी पीढ़ी के चरित्र का निर्माण करता है ; अपनी कक्षा में देश के भविष्य को गढ़ता है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप, सरकार शिक्षा को जीवन, अनुभव और रोजगार से जोड़ने पर बल दे रही है। हरियाणा में स्कूली शिक्षा के सुदृढ़ीकरण, कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों, आईटीआई व पॉलिटेक्निक के आधुनिकीकरण, उद्योग-संबद्ध प्रशिक्षण और अप्रेंटिसशिप के माध्यम से इस दृष्टि को साकार किया जा रहा है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाएँ इन प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त आधार प्रदान कर रही हैं।

    हमारा लक्ष्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि व्यक्ति को जीवन के लिए तैयार करना है ताकि वह प्रकृति से सीख सके, अनुभव से परिपक्व हो और मानवता को ज्ञान का सर्वोच्च रूप माने। यही सच्ची शिक्षा है और यही वह मार्ग है जिस पर चलकर जीवन स्वयं अंतिम और महान शिक्षक बन जाता है।